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अभियान के भागीदार: सफाई सेना वेलफेयर फाउंडेशन 


निर्णयकर्ता:

• केंद्र सरकार

• दिल्ली सरकार

• दिल्ली नगर निगम (एमसीडी)

• नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी)

मांगे:

1. कचरा बीनने वालों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा उपकरण:

● प्रति माह 2 दो N95 मास्क का प्रावधान (कचरा बीनने वालों और उनके परिवारों के लिए तथा सभी कचरा बीनने वालों और कचरा प्रबंधन के किसी भी रूप में शामिल लोगों के लिए चेहरे की सुरक्षा स्क्रीन।

● दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए प्राथमिकता के साथ आँखगले और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वार्षिक स्वास्थ्य जाँच और निजी अस्पतालों में निःशुल्क/रियायती उपचार के लिए एक समर्पित कोटाजिसमें परीक्षण और दवाएँ शामिल हैं।

2. सेहत के लिहाज से खराब वायु के लिए वित्तीय मुआवज़ा:

• जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से अधिक हो जाए, तो कोई भी कचरा बीनने वाला काम पर बाहर ना जाए। इससे इनकी मासिक आय भी कम हो जाती है। इसलिए, जिस दिन AQI 300 से अधिक हो, सरकार को कचरा बीनने वालों को न्यूनतम मजदूरी के आधार पर प्रतिपूरक भुगतान मिलना चाहिए, । यह कचरा बीनने वालों की नगरपालिका रजिस्ट्री पर आधारित होगा। समय पर सहायता सुनिश्चित करने के लिए भुगतान 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।

3. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का कार्यान्वयन:

• ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 की धारा 15(डी) के अनुसार नगर निगम के क्षेत्राधिकार में सभी कचरा बीनने वालों की शीघ्र पहचान और आईडी कार्ड बनाना सुनिश्चित हो, ताकि उनकी पहचान और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाई जा सके।

4. स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा:

• सभी सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता वाले एयर प्यूरीफायर लगाए जाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे बच्चे स्कूल में स्वच्छ हवा में सांस ले सकें और वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बच पाएं।

5. कचरा बीनने वालों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर:

• प्रत्येक कचरा बीनने वाले परिवार को हर महीने एक निःशुल्क  LPG गैस सिलेंडर मिलना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षित, धुआं रहित वातावरण में खाना बना सकें, तथा हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से बच सकें।


परिचय

कल्पना कीजिए कि आप 10-12 घंटे से ज़्यादा समय तक बाहर रहते हों, इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 या ख़तरनाक स्तर को पार कर जाए। दुनिया भर में हुए अध्ययनों से पता चलता है, कि ज़हरीली हवा में लंबे समय तक रहने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। सांस से संबंधी बीमारियाँ, फेफड़ों में संक्रमण, अस्थमा और दिल से जुड़ी परेशानियाँ उन्हीं में शामिल हैं। हमारी दिल्ली में ऐसे लोग भी हैं, जो दिल्ली की ज़हरीली हवा में साँस लेते हुए दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि शहर को साफ़ रखा जा सके।

50,000 से ज़्यादा कचरा बीनने वाले लोग सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के असली संरक्षक हैं, AQI की परवाह किए बिना हर रोज़ 2,000 टन से ज़्यादा कांच, धातु, कागज़ और प्लास्टिक बीनते हैं। लेकिन इसमें उनकी जान को बहुत बड़ा खतरा है। मास्क और शील्ड जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों के बगैर वे हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आते हैं। इसलिए उनके बीमार पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। अगर ये एक भी दिन काम पर ना जाएं तो इसका मतलब है, रोजीरोटी का नुकसान। इससे उनके लिए अपने और परिवार का भरण-पोषण करना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

हम केंद्र और दिल्ली सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वे दिल्ली के कूड़ा बीनने वालों की सुरक्षा, कल्याण और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए हमारी मांगों पर विचार करें। उन्हें मास्क और शील्ड जैसे सुरक्षात्मक उपकरण, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा , AQI 300 से अधिक होने पर प्रतिपूरक भुगतान, मुफ़्त LPG सिलेंडर और बच्चों को बीमार होने से बचाने के लिए कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

इन उपायों से समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा सभी के लिए निष्पक्ष एवं स्वस्थ शहरी वातावरण सुनिश्चित होगा!

अभियान के भागीदार: सफाई सेना वेलफेयर फाउंडेशन 


निर्णयकर्ता:

• केंद्र सरकार

• दिल्ली सरकार

• दिल्ली नगर निगम (एमसीडी)

• नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी)

मांगे:

1. कचरा बीनने वालों के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा उपकरण:

● प्रति माह 2 दो N95 मास्क का प्रावधान (कचरा बीनने वालों और उनके परिवारों के लिए तथा सभी कचरा बीनने वालों और कचरा प्रबंधन के किसी भी रूप में शामिल लोगों के लिए चेहरे की सुरक्षा स्क्रीन।

● दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए प्राथमिकता के साथ आँखगले और फेफड़ों के स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए वार्षिक स्वास्थ्य जाँच और निजी अस्पतालों में निःशुल्क/रियायती उपचार के लिए एक समर्पित कोटाजिसमें परीक्षण और दवाएँ शामिल हैं।

2. सेहत के लिहाज से खराब वायु के लिए वित्तीय मुआवज़ा:

• जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से अधिक हो जाए, तो कोई भी कचरा बीनने वाला काम पर बाहर ना जाए। इससे इनकी मासिक आय भी कम हो जाती है। इसलिए, जिस दिन AQI 300 से अधिक हो, सरकार को कचरा बीनने वालों को न्यूनतम मजदूरी के आधार पर प्रतिपूरक भुगतान मिलना चाहिए, । यह कचरा बीनने वालों की नगरपालिका रजिस्ट्री पर आधारित होगा। समय पर सहायता सुनिश्चित करने के लिए भुगतान 30 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।

3. ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों का कार्यान्वयन:

• ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 की धारा 15(डी) के अनुसार नगर निगम के क्षेत्राधिकार में सभी कचरा बीनने वालों की शीघ्र पहचान और आईडी कार्ड बनाना सुनिश्चित हो, ताकि उनकी पहचान और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक उनकी पहुंच बढ़ाई जा सके।

4. स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा:

• सभी सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता वाले एयर प्यूरीफायर लगाए जाएं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि हमारे बच्चे स्कूल में स्वच्छ हवा में सांस ले सकें और वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बच पाएं।

5. कचरा बीनने वालों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर:

• प्रत्येक कचरा बीनने वाले परिवार को हर महीने एक निःशुल्क  LPG गैस सिलेंडर मिलना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे सुरक्षित, धुआं रहित वातावरण में खाना बना सकें, तथा हानिकारक प्रदूषकों के संपर्क में आने से बच सकें।


परिचय

कल्पना कीजिए कि आप 10-12 घंटे से ज़्यादा समय तक बाहर रहते हों, इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक 500 या ख़तरनाक स्तर को पार कर जाए। दुनिया भर में हुए अध्ययनों से पता चलता है, कि ज़हरीली हवा में लंबे समय तक रहने से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। सांस से संबंधी बीमारियाँ, फेफड़ों में संक्रमण, अस्थमा और दिल से जुड़ी परेशानियाँ उन्हीं में शामिल हैं। हमारी दिल्ली में ऐसे लोग भी हैं, जो दिल्ली की ज़हरीली हवा में साँस लेते हुए दिन-रात मेहनत करते हैं, ताकि शहर को साफ़ रखा जा सके।

50,000 से ज़्यादा कचरा बीनने वाले लोग सरकार के स्वच्छ भारत मिशन के असली संरक्षक हैं, AQI की परवाह किए बिना हर रोज़ 2,000 टन से ज़्यादा कांच, धातु, कागज़ और प्लास्टिक बीनते हैं। लेकिन इसमें उनकी जान को बहुत बड़ा खतरा है। मास्क और शील्ड जैसे सुरक्षात्मक उपकरणों के बगैर वे हवा में मौजूद विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आते हैं। इसलिए उनके बीमार पड़ने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। अगर ये एक भी दिन काम पर ना जाएं तो इसका मतलब है, रोजीरोटी का नुकसान। इससे उनके लिए अपने और परिवार का भरण-पोषण करना बहुत मुश्किल हो जाता है। 

हम केंद्र और दिल्ली सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वे दिल्ली के कूड़ा बीनने वालों की सुरक्षा, कल्याण और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए हमारी मांगों पर विचार करें। उन्हें मास्क और शील्ड जैसे सुरक्षात्मक उपकरण, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा , AQI 300 से अधिक होने पर प्रतिपूरक भुगतान, मुफ़्त LPG सिलेंडर और बच्चों को बीमार होने से बचाने के लिए कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

इन उपायों से समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा सभी के लिए निष्पक्ष एवं स्वस्थ शहरी वातावरण सुनिश्चित होगा!

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